No Noyce
आवाज की भी अपनी अलग पहचान है, जिसे समझना मुश्किल हो जाता है, आखिर यह आवाज कैसे ली गई है।
कई सारे आवाजों को आपने गौर से सुना होगा, बिजली का कड़कना,बारिश की बरसना,पानी की बूंदे गिरना, पक्षियों की आवाज,कंप्यूटर के पंखे की आवाज और ट्रेन की आवाज । इन्हीं आवाजों को जोड़कर बनाया जाता है पूरी फिल्म,और इन आवाजों को इतनी अच्छी तरीके से रिकॉर्ड कीया जाता है,सुनने वालों को ऐसा प्रतीत होता है जैसे मानो उसके सामने ही ट्रेन चलती आ रही हो,आपने डिजिटल साउंड की आवाजों को गौर किया होगा,अगर भूत की फिल्म देखें तो डर लग जाए, डिजिटल साउंड में कभी चिल्लाने की आवाज तो कभी ईटे- पत्थर गिरने की आवाज ऐसे फिल्मों को बनाकर हम लोगों के सामने लाया जाता है,मानो जैसे रियल में हो रहा हो, आखिर जानते हैं इन आवाजों को कैसे रिकॉर्ड किया जाता है और किन-किन आवाजों को दूसरी चीजों में दिखाई जाती हैं,सुन कर और देख कर आश्चर्य होगा लेकिन यह सच है और सच तो कड़वा होता ही है ?
आवाज की भी अपनी अलग पहचान है, जिसे समझना मुश्किल हो जाता है, आखिर यह आवाज कैसे ली गई है।
कई सारे आवाजों को आपने गौर से सुना होगा, बिजली का कड़कना,बारिश की बरसना,पानी की बूंदे गिरना, पक्षियों की आवाज,कंप्यूटर के पंखे की आवाज और ट्रेन की आवाज । इन्हीं आवाजों को जोड़कर बनाया जाता है पूरी फिल्म,और इन आवाजों को इतनी अच्छी तरीके से रिकॉर्ड कीया जाता है,सुनने वालों को ऐसा प्रतीत होता है जैसे मानो उसके सामने ही ट्रेन चलती आ रही हो,आपने डिजिटल साउंड की आवाजों को गौर किया होगा,अगर भूत की फिल्म देखें तो डर लग जाए, डिजिटल साउंड में कभी चिल्लाने की आवाज तो कभी ईटे- पत्थर गिरने की आवाज ऐसे फिल्मों को बनाकर हम लोगों के सामने लाया जाता है,मानो जैसे रियल में हो रहा हो, आखिर जानते हैं इन आवाजों को कैसे रिकॉर्ड किया जाता है और किन-किन आवाजों को दूसरी चीजों में दिखाई जाती हैं,सुन कर और देख कर आश्चर्य होगा लेकिन यह सच है और सच तो कड़वा होता ही है ?
कभी आपने सोचा भी नहीं होगा फिल्मों में मारते वक्त हड्डी टूटने की आवाज पापड़ को तोड़ने से ली गई है। बारिश में बिजली कर कराने की आवाज टीन पर छरी मारने से ली गई है।
ट्रेन की आवाज मिक्स की गई है, इसमें कपड़े को धोने, ट्रेन के होरन की आवाज और ट्रेन को आते-जाते वक्त रिकॉर्ड में कई सारे बदलाव करके दी जाती है।
आप कभी टीवी अगर देखते हो तो उसमें एक ही आदमी कई तरह के आवाज को निकालकर लोगों को आश्चर्यजनक कर देता है, ठीक उसी प्रकार हमारे इर्द-गिर्द बहुत सारे सामानों से आवाजों को निकालकर उन्हें कई तरीकों से हम लोगों को सुनाया जाता है। जैसे शीशे तोड़ने की आवाज, लकड़ी की कर करा हट की आवाज और करंट के चिंगारी की आवाज,,लोहे के मुरने की आवाज, कंप्यूटर माउस की आवाज कीबोर्ड की आवाज इन्हीं सारे आवाजों को मिलाकर फिल्मों में दिया जाता है| जिसके माध्यम से वह फिल्म देखने में इतना आकर्षक हो जाता है कि मानो अगर यह आवाज ना होती तो कैसा होता, तो क्या आप इन तरह के आवाजों का बिजनेस नहीं कर सकते हैं
मानो बारिश पड़ रही हो और उसकी आवाज आपके कानों में नहीं जा रही हैं,बिजली चमक रही है लेकिन उसकी आवाज आपको नहीं मिल रही है,ट्रेन चल रही है लेकिन उसकी आवाज आपको नहीं मिल रही तो कैसा होता,👂आप रोड पर चल रहे हैं और पीछे से कोई आकर धक्का मार देता क्योंकि आपको आहट तक नहीं होती कि पीछे से क्या आ रहा है तो जरा सोचिए उन आवाजों को किसने बनाया होगा या आवाज बनने से पहले कैसा महसूस होता होगा, पहले आवाज आया या पहले हमारी कान सोचो आसमान में हवाई जहाज जा रहा है लेकिन उसकी आवाज आपको नहीं सुनाई दे रही है क्योंकि आवाज ही नहीं है जैसे स्पेस में होता है। वहां आवाज का कोई लफड़ा ही नहीं सभी शांत माहौल में अपना काम करते रहते हैं।
वहां की आवाज शुन्य रहते हुए भी एक गहराई की आवाज जैसी महसूस होती है जिसका नाम है ना शुरुआत ना कोई अल्प है ना कोई विकल्प !
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| space ki aawaj |
वहां की आवाज शुन्य रहते हुए भी एक गहराई की आवाज जैसी महसूस होती है जिसका नाम है ना शुरुआत ना कोई अल्प है ना कोई विकल्प !
सोचो अगर आप कोई ऐसा काम कर रहे हो जिसमें आप पूरा दम लगा रहे हो लेकिन उसके तरफ से थोड़ा सा भी आवाज नहीं आ रहा है तो कैसा लगेगा 😒
सोचो अगर इस दुनिया में एक अजीब सी आवाज होती मानो ऐसी आवाज जो आपको डराती हो और वह आवाज सभी में एक समान हो,किसी में भी दूसरा आवाज ना हो तो कैसा लगेगा,, लकड़ी को तोडेंगे तो वही आवाज लोहे पर लोहा मारेंगे तो वहीं आवाज शीशे को तोड़ेंगे तो एक ही आवाज मोबाइल को गिराएंगे वही आवाज आनी चाहिए,जो आपको हमेशा डराती हो तो कैसा लगेगा ।
चाहे बारिश की बूंदे हो, चाहे बिजली की आवाज सभी में एक ही आवाज हो तो अच्छा लगेगा" कभी अच्छा नहीं लगेगा,, सभी की अपनी-अपनी गाथा है उन बातों को लेकर सभी अपना काम करना चाहते हैं लेकिन कहीं ना कहीं सभी चीज सभी आवाज सभी लोग एक चीज से जुड़ी हुई है|
मेरे ख्याल से सभी कालचक्र से जुड़े हैं कालचक्र मतलब समय जिस प्रकार से सेकंड का चौथा भाग भी समय के अनुकूल काम करता है ठीक उसी प्रकार हम सभी उसके साथ जुड़े हैं ।
जिस प्रकार से एक सब्जी को बनाने के लिए निश्चित समय, निश्चित उर्जा, निश्चित मसाले सभी एक समान विद्यमान रहती है। ठीक उसी के अनुसार सभी काम करते हैं तो अगली बार आपको अगर कोई फिल्म देखनी हो तो आप उसके सारे आवाज को सही तरीके से सुने और समझे आखिर इस आवाज की क्या ताकत हो सकती है।
आज के लिये इतना ही बाकी हम आपके प्रश्न को देखकर आपको आगे की Knowledge देंगे ।



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