'' उन जैसा अंधा और कौन हो सकता है,जो देंखेगे नहीं''
एक बार किसी मूर्ख व्यापारी ने एक घोड़े पर एक तरफ दो
मन गेहूं लाद दिया तथा दूसरी ओर दो मन रेत डाल ली कि बोझ बराबर हो जाए और घोड़े को तकलीफ ना हो ।
मन गेहूं लाद दिया तथा दूसरी ओर दो मन रेत डाल ली कि बोझ बराबर हो जाए और घोड़े को तकलीफ ना हो ।
एक गरीब आदमी जो उसे बोझ लादते देख रहा था, उसने पूछा, ''श्रीमान यह आप क्या कर रहे हैं ?''व्यापारी बोला, ''एक तरफ गेहूं और दूसरी तरफ भार बराबर करने के लिए रेत है ।'' वह आदमी कहने लगा कि अगर दो मन गेहूं
को एक मन एक ओर और एक मन दूसरी ओर डाल लेते तो क्या था ? घोड़े वाले ने कहा, तेरी औकात क्या है उसने कहा कि बस जान ही जहान है । तो घोड़े वाले ने कहा कि मेरे साथ बात मत कर । कहीं मैं
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भी तेरे जैसा गरीब ना हो जाऊं । अपनी अक्ल और बदकिस्मती अपने पास रख । My Instagram id -- @vikrant.jha.777
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सो नासमझ लोग सलाह लेने के लिए तैयार नहीं होते । इसी तरह संत भी शिक्षा देते हैं पर हम उनकी एक नहीं सुनते ।।
आपका दोस्त, आपका भाई ''विक्रान्त कुमार'' ⇛
आपको इस कहानी से क्या शिख मिली
Just Now Comments Please.....



very good
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