फिर कभी जलेबी मत मांगना ➤
➽➼➺➺जिक्र है कि एक फकीर 👸एक दिन बाजार से गुज़र रहा था । रास्ते में एक हलवाई की दुकान थी। उसने बड़ी अच्छी जलेबियां🍥 सजा कर रखी हुई थी ।👀
मैंने कहा जलेबियां खानी है👅, "पास पैसा था नहीं करे तो क्या करें ! मन को समझाना बुझाया लेकिन मन ना माना "💆" आखिर वहां से वापस चला आया '💃
⠛मन की आदत है कि इसको जिस तरफ से मोड़ो उधर ही जाता है । जब रात को भजन में बैठा तो जलेबियां सामने⠁😜
मन बाहर जाने लगा" फकीर उठ गया । जब फिर बैठा, फिर वही ख्याल सामने आया 💮 जब सुबह हुई तो वह पैसे कमाने के लिए काम करने गया।' ' ''
मन बाहर जाने लगा" फकीर उठ गया । जब फिर बैठा, फिर वही ख्याल सामने आया 💮 जब सुबह हुई तो वह पैसे कमाने के लिए काम करने गया।' ' ''
गर्मी बहुत थी 😅और उसका मालिक बहुत बड़े कड़े स्वभाव का था।😠 जैसे-तैसे शाम को थक कर चूर होकर लड़खराता हुआ बाजार आया,क्योंकि उसका मन जलेबियां चाहता था😜' उस समय जलेबियां सस्ती थी, रुपए के 3 किलो होती थी। 3 किलो जलेबी खरीदी और जंगल में चला गया ।
मैं Online Business करता हुं।आप शांति से इस पेज को भी देख सकते है। कुछ खाया पेट भर गया' मन ने कहा कि और खा☺️ और खाई"
आखिर मन मुंह फेर दिया'' फिर बोला कि और खा और खाई तो उल्टी हो गई😭
जब उल्टी हो गई तो मन ने हुक्म दिया कि अब तू क्या करेगा''🙎 आखिर मन हार के कहा कि फिर कभी जलेबी नहीं मांगूंगा 🙏 तो मन बातों से नहीं आता,
😇 मन को समझाने के लिए मन जैसी ही 'पावरफूल' शक्ति का यूज करना होता है। मालूम
मैं Online Business करता हुं।आप शांति से इस पेज को भी देख सकते है। कुछ खाया पेट भर गया' मन ने कहा कि और खा☺️ और खाई"
आखिर मन मुंह फेर दिया'' फिर बोला कि और खा और खाई तो उल्टी हो गई😭
जब उल्टी हो गई तो मन ने हुक्म दिया कि अब तू क्या करेगा''🙎 आखिर मन हार के कहा कि फिर कभी जलेबी नहीं मांगूंगा 🙏 तो मन बातों से नहीं आता,
😇 मन को समझाने के लिए मन जैसी ही 'पावरफूल' शक्ति का यूज करना होता है। मालूम
ज़रा अपने भी दिल पर हाथ रख के पूछिए, क्या आपके साथ कभी इस कहानी के जैसा कुछ हुआ है । ,अगर हुआ है तो क्या आप फिर उस स्थिति मे जाना चाहेंगे ।




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