मां की शिक्षा + भिक्षा ✔️
अपने अंदर प्रियतम के सिवाए और कोई चाह न रखो,भक्त और भगवान के बीच किसी दूसरे का ख्याल न रखो ।
कहा जाता है कि जब प्राचीन भारत के राजा गोपीचंद ने दुनिया की एसो- आराम से तंग आकर अपना राज्य छोड़ दिया और गोरखनाथ के पास जोगी बनने के लिए चला गया तो,गोरखनाथ ने उसे योग की शिक्षा दे दी ।
साधु का भेष धारण करके, हाथ में कमंडल लेकर, वापस अपने राज्य में जाकर भिक्षु के लिए जाओ, और जो कुछ भी तुम्हारी पूर्व प्रजा से मिले ले आओ।"
अब राजा होकर अपने शहर में जाकर अपनी प्रजा से भिक्षा मांगना कोई छोटी सी बात नहीं।
गोपीचंद ने श्रद्धा पूर्वक अपने गुरु का आदेश माना। जब शहर में गया, लोगों ने देखा कि यह राजा है, जिसे पैसा देना था उसने उसे पैसा दिया ।
वह आगे योगियों को देता गया और योगी गुरु के पास पहुँचाते गए,
शहर में मांग कर, फिर रानियों के पास गया उन्होंने देखा" कि यह तो राजा है, जो अच्छे कपड़े और गहने थे, सब उतार कर योगी को दे दिए कि अब राजा के बिना यह सब हमारे किस काम के ,
गोपीचंद सब वस्तुएँ अपने साथी शिष्यों को देता गया और वे इन्हें अपने गुरु के पास भेज दे रहे |
संत गोपीचंद ने मां के दरवाज़े पर जाकर अलख जगाई, मां ने उसे देखकर कहा,"योगी मैं गृहस्थी औरत हूं, तू त्यागी पुरुष है | गृहस्तथी का धर्म नहीं कि त्यागी को उपदेश दे लेकिन इस समय तू मेरे दरवाज़े पर मांगने आया है, मुझे अधिकार है कि मैं जो चाहूं भिक्षा में दूँ !
जो कुछ तू मांग कर लाया, वह तो योगी लोग खा जाएंगे, तेरे पास तो कुछ भी नहीं रहेगा। इसलिए मैं तुझे ऐसी भिक्षा नहीं देती, बल्कि तीन बातों की दीक्षा देती हूं :
यह सुनकर योगी बोला, "मां ! तेरे उपदेश से मैं साधु हुआ हूं, लेकिन अब तू मुझे क्या उल्टा उपदेश दे रही है ! अगर कोई और स्त्री यह कहती तो मैं कहता कि यह पागल है। देख मां ! जंगलों में मजबूत क़िले और स्वादिष्ट भोजन कहां,इस तरह नरम बिछावन कहां,
वहां तो सूखे - टुकड़े खाने पड़ते हैं, घास पर लेटना पड़ता है,
मां ने उत्तर दिया योगी तूने मेरा मतलब नहीं समझा, गोपीचंद द्वारा मतलब पूछने पर उसने कहा मेरा मतलब यह है कि तू दिन रात जागना, अभ्यास करना, जिस वक्त तुझे नींद तंग करें,तुझे नींद गिराने लगे तो, वही सो जाना
जहां कांटे हो या कंकर वही नरम से नरम बिछावन होगा, तुझे ऐसी नींद आएगी जैसे कभी फूलों की सेज पर भी नहीं आई होगी ।
जहां तक हो सके थोड़ा खाना और भूखे रहना, जब भूख से प्राण तड़प उठे," प्राण निकलने लगे तो रुखा - सुखा बाकी जैसा भी टुकड़ा मिले खा लेना, उस वक्त 7 दिनों का रुखा - सुखा टुकड़ा भी तुझे हलवे और पुलाव से बढ़कर स्वादिष्ट भोजन लगेगा ।
तीसरे, "तू राज्य छोड़कर योगी हुआ है,"तेरे पास जवान स्त्रियों को भी आना है, वृद्ध और कम अवस्था की स्त्रियों को भी आना है"
गुरु की संगति से बढ़कर और कोई मजबूत किला नहीं है"। अगर गुरु की संगति करेगा, गुरु के अधीन रहेगा, सत्संग सुनेगा तो इससे बचा रहेगा।
महात्मा के वचनों से मन को ठोकर लगती रहती है, मन सीधा रहता है। बस! मैं तुझे इन तीनों बातों की भिक्षा देती हूं और कुछ नहीं ॥
Comment, Like This Story✔️
जो कुछ तू मांग कर लाया, वह तो योगी लोग खा जाएंगे, तेरे पास तो कुछ भी नहीं रहेगा। इसलिए मैं तुझे ऐसी भिक्षा नहीं देती, बल्कि तीन बातों की दीक्षा देती हूं :
- पहली यह कि रात को मजबूत से मजबूत क़िले में रहना ।
- दूसरी यह कि स्वादिष्ट से स्वादिष्ट भोजन खाना और
- तीसरी यह की नर्म से नर्म बिस्तर पर सोना ।
यह सुनकर योगी बोला, "मां ! तेरे उपदेश से मैं साधु हुआ हूं, लेकिन अब तू मुझे क्या उल्टा उपदेश दे रही है ! अगर कोई और स्त्री यह कहती तो मैं कहता कि यह पागल है। देख मां ! जंगलों में मजबूत क़िले और स्वादिष्ट भोजन कहां,इस तरह नरम बिछावन कहां,
वहां तो सूखे - टुकड़े खाने पड़ते हैं, घास पर लेटना पड़ता है,
मां ने उत्तर दिया योगी तूने मेरा मतलब नहीं समझा, गोपीचंद द्वारा मतलब पूछने पर उसने कहा मेरा मतलब यह है कि तू दिन रात जागना, अभ्यास करना, जिस वक्त तुझे नींद तंग करें,तुझे नींद गिराने लगे तो, वही सो जाना
जहां कांटे हो या कंकर वही नरम से नरम बिछावन होगा, तुझे ऐसी नींद आएगी जैसे कभी फूलों की सेज पर भी नहीं आई होगी ।
जहां तक हो सके थोड़ा खाना और भूखे रहना, जब भूख से प्राण तड़प उठे," प्राण निकलने लगे तो रुखा - सुखा बाकी जैसा भी टुकड़ा मिले खा लेना, उस वक्त 7 दिनों का रुखा - सुखा टुकड़ा भी तुझे हलवे और पुलाव से बढ़कर स्वादिष्ट भोजन लगेगा ।
तीसरे, "तू राज्य छोड़कर योगी हुआ है,"तेरे पास जवान स्त्रियों को भी आना है, वृद्ध और कम अवस्था की स्त्रियों को भी आना है"
गुरु की संगति से बढ़कर और कोई मजबूत किला नहीं है"। अगर गुरु की संगति करेगा, गुरु के अधीन रहेगा, सत्संग सुनेगा तो इससे बचा रहेगा।
महात्मा के वचनों से मन को ठोकर लगती रहती है, मन सीधा रहता है। बस! मैं तुझे इन तीनों बातों की भिक्षा देती हूं और कुछ नहीं ॥
Comment, Like This Story✔️
Vikrant kumar jha 9122204366 Only Argent Call








No comments:
Post a Comment