Face kitab

Saturday, August 31, 2019

फकीर और चीटियां

जिस दिल मे सब जीवों के लिए प्रेम और दया होती है, उसमें विषय विकारो के लिए कोई स्थान नहीं होता। ऐ दोस्त ! कभी किसी दिल को ठेस न पहुंचाना। किसी का दिल दुखाना प्रभु को भूल जाना है ।

         'तजकरात -उल- औलिया' मुसलमानों की एक रूहानी किताब है। उसमें एक छोटी सी कहानी आती है एक बार एक ग़रीब फकीर जब सफर पर निकला तो उसने साथ में रोटी बांध ली थी कि रास्ते में खायेगा । रात को एक मस्जिद में सोया, सुबह उठकर 10-12 मील सफर किया। फिर ख्याल आया की रोटी खा लू । जब रोटी की गठरी खोली तो देखा कि रोटी चीटियों से भरी पड़ी है। फकीर को बहुत दुःख हुआ कि मैं इनको इतनी दूर ले आया हूं इस जगह इनका कोई घर-बार नहीं है। कोई अपनी मां छोड़ कर आई है, तो कोई अपना बाप छोड़ कर आया है,

कोई बच्चे छोड़ कर आई है, यह सोचकर वह वापस चल पड़ा और 10 -12 मील का सफर कर के वापस उसी मस्जिद में आया। रोटियाँ झाड़ी और चीटियों से कहा कि जाओ अपने - अपने घर को । मज़हब कत्लो - गारत (मारना-काटना) नहीं सिखाता बल्कि दया सिखाता है ।

       जवान और बहुत खूबसूरत थी |
जीवन लम्बा नही , महान होना चाहिये !

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