गुरु और मालिक में कोई अंतर नहीं , दोनों वास्तव में एक ही है l
एक पादरी हमेशा बड़े महाराज जी के साथ बहस करता रहता था l एक बार जब आप ब्यास स्टेशन पर उतरे, तो वह बोला कि एक सवाल का जवाब दो l आप ने कहा, ''बड़ी खुशी से जो पूछना है, पूछो!'' उसने कहा कि मुझे बताओ गुरु नानक साहिब बड़े हैं कि कबीर साहेब बड़े हैं या बाबा जयमल सिंह? बड़े महाराज जी ने कहा ,''भाई ! सभी को मेरे सामने खड़ा कर दो, मैं बता दूंगा कि कौन बड़ा है l''
''वह कहने लगे, मैंने तो बाबा जयमल सिंह जी को देखा है, मैं तो उनके बारे में ही कुछ कह सकता हूं , लेकिन जिनके मैंने कभी दर्शन नहीं कि उनकी आपस में तुलना करना मेरे लिए ना मुनासिब है l.
सभी संत सतगुरु एक ही धाम से आते हैं, उनकी तुलना का सवाल ही नहीं पैदा होता है !
खुदा दो है या एक ?
जब बड़े महाराज जी फौज में इंजीनियर थे तो एक बार उसका तबादला रावलपिंडी हो गया l वहां का इंचार्ज एक एस.डी.ओ था l उसका रोज का नियम था कि वे दोनों शाम को इकट्ठे काम बंद करके जाते थे l एक दिन की बात है, छुट्टी का वक्त हो चुका था कि उसका Clark कागज पर दस्तखत करवाने के लिए आ गया l एस.डी.ओ कहने लगा चलो भाई कल कर लेंगे, उसने कहा, ''मुझे दस्तखत कर लेने दो ! वह बोला, ''छोड़ो भी, आपका खुदा अपने कर लेगा l कौन सा खुदा ?
उसने कहा क्या खुदा दो होते हैं आपने कहा कि हां उसकी समझ तो नहीं आया लेकिन चुप हो गया, वह घर जाते हुए सारे रास्ते सोचता गया, रात को एक फकीर मिला'' उसने अच्छी तरह समझा दिया कि दुनिया का खुदा ओर है और संतों का खुदा ओर''!
जब सवेरे दफ्तर आया तो बोला कि आप की कल की बात में एक राज थी,, आपने पूछा कि क्या राज खोल दो* उसने कहा नहीं मेरी तसल्ली हो गई है $ मुझे जानकारी हो गई है'' जो दुनिया का खुदा है वह काल है और गुरु मुखों का खुदा हैl वह त्रिलोकी उसूल सूक्ष्म और कारण मंडल से आगे हैं l
वह दयालु है l
No comments:
Post a Comment